शहीद भगतसिंह महाविद्यालय
प्रकृति के मनोहर वातावरण में शहर के शोरगुल से दूर गांव 12 पीएस की जमीन पर गंगनहर की पीएस वितरिका के किनारे रायसिंहनगर से श्री गंगानगर की मुख्य सड़क पर स्थित है |
यह महाविद्यालय रायसिंहनगर तहसील के कर्मठ नागरिकों की मेहनत का फल है जिन्होंने अपना पसीना बहाकर पूरे क्षेत्र में एक-एक रुपया दान इकट्ठा कर इस महाविद्यालय का निर्माण किया और
श्रीमती प्रकाश कौर (शहीद-ए-आजम भगतसिंह की बहन ) की अध्यक्षता में श्री केदारनाथ शर्मा मंत्री ( श्रम-यातायात, उपनिवेशन व राजस्थान कैनाल ) के कर-कमलों द्वारा 24 अगस्त 1978 को उद्घाटन किया गया |
यह महाविद्यालय इस क्षेत्र के दानवीरों द्वारा दिल खोलकर दिए गए दान से निर्मित हुआ है | वर्ष 1983-84 में इस महाविद्यालय को राज. सरकार से 60% अनुदान पर लिया गया था तथा सञ् 2002-03 से अनुदान 60% से बढ़ाकर 90% कर दिया गया |
प्रिय विद्यार्थियों !
प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में सफल होने की कामना करता है और इसके लिए प्रयत्न करता रहता है | रणनीति-कौशल आयोजना और उचित समय प्रबंधन सफलता के मूल मंत्र हैं |
इन्हें सही ढंग से प्रयोग करने पर तीव्रता से मंजिल तक पहुंच सकते हैं | याद रहे, विस्तृत ज्ञान करते हुए भी रणनीति कौशल की कमी आपकी राय रोक सकती है,
जबकि सही रणनीति कम ज्ञान का उचित और चातुर्य-पूर्ण प्रयोग करते हुए भी सफलता की सीढी बन सकती है | एक महत्वपूर्ण बात ! कभी भी असफलता से घबराएं नहीं बल्कि उसको हथियार बनाइए !
कमियों को तलाशिए, उन्हें दूर करने के तरीकों तथा अधिक मेहनत करने की बात दिमाग में रखें | बस इसको कार्यरूप में परिणित करें | आप विजेता होंगे | आपका अध्ययन काल आपके लिए स्वर्णिम अवसर है,
इस अवसर को व्यर्थ ना जाने दें | भविष्य आपके सपनों व मेहनत के अनुरूप होगा | आपकी उन्नति से न केवल आप और आपका परिवार गौरवान्वित होगा बल्कि यह महाविद्यालय भी गौरवान्वित अनुभव करेगा |
प्रिय विद्यार्थीगण !
नए स्तर में मैं आप सबका शहीद भगत सिंह महाविद्यालय में प्रवेश लेने पर हार्दिक अभिनंदन करता हूँ तथा आशा करता हूँ कि इस महाविद्यालय में प्रवेश प्राप्त करने वाला प्रत्येक विद्यार्थी उस महान् शहीद के सपनों को पूर्ण करने का प्रयास करेगा
जिसके नाम से इस महाविद्यालय की स्थापना हुई है | विद्या के इस भव्य मंदिर के निर्माणकर्ताओं के भी शिक्षा संबंधित कुछ स्वपन थे, उन्हें भी आप पूर्ण करेंगे, ऐसी मैं आशा करता हूँ !
नियमित और अनुशासनबध्द रहकर अपने स्वर्णिम भविष्य की नींव रखने के शुभ अवसर को हाथ से न जाने दें | अपने, अपने मॉ-बाप के, प्रिय जनों के सपनों को साकार करें |
मैं आप से आशा और अपेक्षा करता हूं कि आप महाविद्यालय की सुदृढ़ परंपराओं का पालन करते हुए इसकी उन्नति में अपना योगदान देने के लिए तन-मन से प्रयास करेंगे | विश्वास रहे रखें कि किसी भी सफलता का
एकमात्र रहस्य लग्न व निष्ठा के साथ कड़ी मेहनत करना है |
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